रसूखदारों के आगे बेबस हुए जिम्मेदार
वरिष्ठ पत्रकार राजेश विश्वकर्मा की खास रिपोर्ट
डिण्डौरी। जिले के प्रशासनिक अमले द्वारा अतिक्रमण विरोधी मुहिम में की गई रस्म अदायगी खासी सुर्खियों में है, लेकिन उससे ज्यादा चर्चे ऐसे अवैध कब्जाधारियों के है,जिन पर नगर परिषद और राजस्व दोनों सिलसिलेवार खबरों के बावजूद मेहरबान है, और यह चर्चित कब्जाधारी वार्ड क्रमांक 1 मदर टेरेसा स्कूल के सामने निवासरत पंचायत सचिव और वार्ड क्रमांक 13 में कंपनी चौक पर आबादी भूमि में बहुमंजिला इमारत तानने वाले शहर के प्रतिष्ठित कपड़ा व्यवसाई है।बता दें की इन दोनों पर ही नगर परिषद में कार्यरत वार्ड क्रमांक 1 के राजस्व प्रभारी और राजस्व विभाग के नजूल आर आई ने अपनी कृपा बना रखी है,जो की हाल फिलहाल पांडे भोजनालय में की गई भेदभाव पूर्ण कार्यवाही को लेकर भी नगरवासियों की जुबान पर है।
जमीन 800 वर्ग फिट और कब्जा 3600 वर्ग फिट में
पहला मामला है वार्ड क्रमांक 1 का, जहां कब्जा धारी ने जो कि पेशे से पंचायत सचिव है, नगर परिषद से निर्माण के नाम पर मंजूरी 800 वर्ग फिट की ली थी,लेकिन महाशय ने लगभग 3600 वर्ग फिट में 800 छोड़ शेष सरकारी भूमि पर आलीशान हवेली तैयार कर रखी है, एवं मामला जब प्रशासनिक महकमे के संज्ञान में आया तो नगर परिषद में कार्यरत अमले द्वारा महज कागजी खानापूर्ति कर नोटिस – नोटिस का खेल खेला जा रहा है,जो कि विगत दो वर्षों से सतत जारी है।और यह पक्का निर्माण राजस्व पटवारी हल्का एवं राजस्व में पदस्थ नजूल आर आई को नजर नहीं आता,जिन्होंने व्यक्ति विशेष को कब्जा दिलाने की नियत से पांडेय भोजनालय का सूपड़ा साफ कर दिया।वैसे आपको यह बताना भी जरूरी है की लोकसभा चुनाव पूर्व पवित्र नर्मदा तट से लगभग दर्जन भर परिवारों को बेदखल कर वृहद स्तर पर अतिक्रमण हटाए गए थे,और फिर पंचायत सचिव का आलीशान भवन भी नर्मदा तट से सटकर बनाया गया है,जो की सवालों के दायरे में है।
कपड़ा व्यवसाई पर भी कार्यवाही से गुरेज दूसरा मामला है कंपनी चौक पुरानी डिण्डौरी का जहां मुख्य मार्ग पर आबादी भूमि पर स्थित एक कच्चे मकान को जिले के नामी कपड़ा व्यवसाई ने मलबे के नाम से लाखो रूपयो में क्रय किया और फिर वास्तुविद एवं तत्कलीन राजस्व निरीक्षक एवं तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी से सांठ गांठ कर लगभग 2000 वर्गफिट भूमि पर पांच मंजिला आलीशान इमारत खड़ी कर दी,जिसकी निर्माण लागत ही लगभग एक करोड़ के आसपास होगी और तैया होते होते यह आंकड़ा लगभग डेढ़ करोड़ के आसपास तक पहुंच जाएगा। और जब मामला उजगार हुआ तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कार्य पर रोक लगा दी। लेकिन ना तो वास्तुविद ,मुख्य नगर पालिका अधिकारी को लोड रहे है और ना ही कपड़ा व्यवसाई। बल्कि सूत्र तो यहां तक बता रहे है की अब कपड़ा व्यवसाई ने आवेदन भू-धारणाधिकार में प्रस्तुत कर दिया है,जहां नजूल आरआई एक बार फिर महती भूमिका का निर्वहन कर सकते है।
बहरहाल इन दोनों ही मामलों को लेकर जब हमने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व डिण्डौरी रामबाबू देवांगन के मोबाइल फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ था।
दूसरा मामला है कंपनी चौक पुरानी डिण्डौरी का जहां मुख्य मार्ग पर आबादी भूमि पर स्थित एक कच्चे मकान को जिले के नामी कपड़ा व्यवसाई ने मलबे के नाम से लाखो रूपयो में क्रय किया और फिर वास्तुविद एवं तत्कलीन राजस्व निरीक्षक एवं तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी से सांठ गांठ कर लगभग 2000 वर्गफिट भूमि पर पांच मंजिला आलीशान इमारत खड़ी कर दी,जिसकी निर्माण लागत ही लगभग एक करोड़ के आसपास होगी और तैया होते होते यह आंकड़ा लगभग डेढ़ करोड़ के आसपास तक पहुंच जाएगा। और जब मामला उजगार हुआ तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कार्य पर रोक लगा दी। लेकिन ना तो वास्तुविद ,मुख्य नगर पालिका अधिकारी को लोड रहे है और ना ही कपड़ा व्यवसाई। बल्कि सूत्र तो यहां तक बता रहे है की अब कपड़ा व्यवसाई ने आवेदन भू-धारणाधिकार में प्रस्तुत कर दिया है,जहां नजूल आरआई एक बार फिर महती भूमिका का निर्वहन कर सकते है।
बहरहाल इन दोनों ही मामलों को लेकर जब हमने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व डिण्डौरी रामबाबू देवांगन के मोबाइल फोन पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ था।