राजेन्द्र तंतवाय की कलम से
राम राज्य की स्थापना के पूर्व भरत जैसे तपस्वी आते है तब जाकर राम राज्य की परिकल्पना पूर्ण होती है वर्तमान में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर मीडिया जगत में रोजाना नए नए कयास लगाए जा रहे है की मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री ये होंगे तो वो होंगे पर *अंतिम सत्य यही है कि मुख्यमंत्री वही होगा जो भरत जैसा तपस्वी होगा* कहते है है न जुमले बाजी और तीर में तुक्का मरना अलग बात है मीडिया जगत चाटुकारिता नहीं है इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता जब नेता ही सही नही तो सीधी और सच्ची बात है की राष्ट्र का चौथा स्तंभ भी इससे अछूता नहीं है फिर विषय और मूल मुददे पर आ जाते है मध्य प्रदेश सहित तमाम राज्य के परिणाम घोषित हुए जो सारे न्यूज चैनलों के एक्जिट पोल की पोल खोलते दिखे कोई कहीं किसी की सरकार बना रहे थे तो कोई किसी की पर सभी का अंक गडित धरा का धरा रह गया जो भी हो जो जीता सत्ता का अधिकार उसी को मिलेगा अब पत्रकारिता जगत में कयास कहें या कुछ और होड़ सी लगी है कोई कह रहा है ये मुख्यमंत्री बनेंगे तो कोई कह रहा है ये मुख्यमंत्री बनेंगे अलबत्ता मानले यही भाग्य विधाता है तो कलयुग में यह संभव नहीं सारे समीकरण का सूत्रधार भाजपा में कौन है यक्ष प्रश्न यही है मध्य प्रदेश में राज गद्दी उसे ही मिलेगी जो भरत जैसा तपस्वी होगा हम थोड़ा राम चरित मानस की ओर जाते है ऐसा भी नहीं की लोग इससे परिचित न हों राजा दशरथ के चार पुत्र थे राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न इस सारी पठकथा में मंथरा के किरदार को सभी जानते है फिर क्या केकई माता का कोप भवन राम को 14 वर्ष का बनवास भरत को राज गद्दी अयोध्या का राजा हालत अब भी कुछ ऐसे ही है मध्य प्रदेश के जो चुनाव परिणाम है इसमें न मोदी मैजिक है न मामा जी की लाडली बहना सारा का सारा सूत्रधार संघ है और अंतिम मोहर वहीं से लगाई जाएगी वर्तमान यही इसरा करता दिखाई देता है कि कहीं फिर लोकसभा चुनाव तक शिव को ही विष पान कर नीलकंठ न बनना पड़े ?