Supreme Court News: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के मुख्य सचिव की तैनाती को लेकर दाखिल याचिका को बोझिल करार दिया और कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, न्यायालय राजनीतिक विवाद का अखाड़ा बन जाता है. इस तरह के गैर जरूरी मामलों की संख्या बढ़ने लगती है.
सीजेआई चंद्रचूड़ (CJI Chandrachud) ने कहा कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, हाई कोर्ट से लेकर सेशन कोर्ट तक इस तरह के गैर जरूरी मुकदमों से जूझते हैं. कई कोर्ट में तो ऐसे मामलों की भरमार है. जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं, इस तरह के मामले बढ़ने लगते हैं. बतौर जज हमें भी इसका एहसास है. चुनाव खत्म होते ही मामला ठंडा पड़ जाता है.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बुधवार को मुझे ऐसी ही एक याचिका से निपटना पड़ा. जहां एक तरफ डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी थे तो दूसरी तरफ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता थे.
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चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इसी कार्यक्रम में कॉर्नेलिया सोराबजी (Cornelia Sorabjee) को भी याद किया और बताया कि 19वीं सदी के आखिर में जब वह कानून के पेशे में आना चाहती थीं, तब उन्हें किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कॉर्नेलिया सोराबजी को बॉम्बे बार ने एंट्री नहीं दी. फिर वह इलाहाबाद चली गईं. मजबूरन वहां वकील की परीक्षा देनी पड़ी.
सीजेआई ने कहा कि अब स्थिति बदल चुकी है. आज सुप्रीम कोर्ट से लेकर तमाम हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में महिलाएं प्रैक्टिस कर रही हैं. अब कानून का पेशा बहुत हद तक समावेशी बन गया है. अब हर लिंग, जाति और समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग कानून के पेशे में आ रहे हैं, जो एक सकारात्मक संदेश है.
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FIRST PUBLISHED : December 1, 2023, 13:37 IST